top 4 temple travel in kanpur

 

यदि आप एक traveller है तो आपको india के मंदिरों की यात्रा एक बार जरूर करनी चाहिए क्योंकि india एक हिन्दू

रास्ट्रय country है। जहाँ मंदिर निर्माण की परंपरा युगों से चली आ रही है। यहाँ के मंदिरों की अदभुत गाथाऐं, मन को स्थिरता प्रदान करने वाला वातावरण और अनुपम दृश्य विधमान है। भारत का मैनचेस्टर कहे जाने वाला शहर कानपुर के कुछ ऐतिहासिक temple  के बारे में जानेंगे।



                         अनादेश्वर मंदिर



यह प्राचीन मंदिर कानपुर के मंदिरों का मंदिर है। इस मंदिर की कृपा यहां के क्षेत्रनिवाशियो पर बनी रहती है। यह मंदिर महादेव , भोलेनाथ , नीलकंठ शंकर जी को समर्पित है जो पवित्र गंगा नदी के पावन तट के किनारे अपनी गरिमा को बनाए रखा हैं। मंदिर का विस्तार 3 एकर में है । बाबा अनादेश्वर धाम के अन्य नाम से इस मंदिर को जाना जाता है 
जो जुवा अखाड़ा से समन्धित है।

देखने योग्य दृश्य :-
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वैसे तो यह मंदिर अपने आप मे आकर्षण का केन्द्र बना रहता है फिर भी इसके आस पास का वातावरण मंदिर के बाहर गंगा नदी के तट के किनारे फूलो के बगीचे जैसे बना सुनहरा रंग बिरंगे घाट है जो मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।

मंदिर का आनंदेश्वर नाम क्यों पड़ा ?
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मंदिर का इतिहास महाभारत काल के पहले की घटनाओं में लिपटी हुई है। ऐसा बताया जाता हैं कि एक आनंदी नाम की  एक गाय थी । जब वह अपनी मालिक के पास घर आती तो अपना सारा दूध एक टीले पर गीरा देती । इस घटना की सच्चाई जानने के लिए गाय के मालिक ने वहां खोदाई कराई तो वहाँ शंकर जी का शिवलिंग प्राप्त हुआ। उस आनंदी गाय के हित मे इस मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ा जो भोले नाथ को समर्पित है।

रोचक तथ्य :-
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ऐसा माना जाता है कि साक्षात भोलेनाथ इस मंदिर में अपना दर्शन देते हैं।

मंदिर घूमने का समय :-
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यह मंदिर श्रावण माह में travel करना काफी आनंदमय होता है। इस माह में श्रद्धालुओं का काफी भीड़ उमड़ती है भोलेनाथ का दर्शन पाने के लिए।

मंदिर खुलने का समय :-
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मंदिर रोज सुबह 6 बजे से रात 9 बजे तक खुलता है । लेकिन श्रावण माह में इश्का समय बदल जाता है। सुबह 3 बजे से दोपहर 12 बजे तक खुलता है।


             जैन ग्लॉस मंदिर कानपुर



         
कानपुर में यह जैन धर्म के समुदाय के लिए एक शाश्वत मंदिर है जो महावीर स्वामी और 23 तीर्थंकर को समर्पित है यह मंदिर अपने नाम से ही परिचय देते हुए बताया है कि इश्का निर्माण काच के दर्पण और तामचीनी से हुआ है । जिस तरह से भगवान विष्णु शेषनाथ की शैय्या पेर लेटे रहते है ठीक उसी प्रकार महावीर स्वामी और तीर्थंकरओ की मूर्तियां एक बड़े संगमरमर के चबूतरे पर विराजमान है और एक बड़ी सी छतरी के नीचे छाव में खड़े है।

देखने योग्य दृश्य :-
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यह मंदिर स्थापित्य शैली का एक शानदार उदहारण है । मंदिर के पास में एक बगीचा है जो इसकी सुंदरता को और आकर्षकन तथा मन को मुग्द करता है यहाँ की फर्स दूध की तरह दिखाई देता है जो संगमरमर की बनी है।
सूरज की जब पहली किरण मंदिर पर पड़ती है तो इसकी सुंदरता में चार चांद लग जाते है जो पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है।

रोचक तथ्य:-
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यह मंदिर जैन धर्म की इतिहास की एक आश्चर्यजनक कृति है। इस मंदिर का निर्माण महान हस्त शिल्प के साथ पिरो कर बनाया गया है।

Travel करने का समय:-
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इस मंदिर को सुबह में travel करना काफी आनंदमय महसूस होता है । सुबह की पहली किरणों के साथ इस मंदिर को देखना किसी सर्प के मणि देखने जैसे लगता है।

मंदिर खुलने का समय:-
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सुबह 8 बजे से रात 12 बजे तक।


                       इस्कान मंदिर कानपुर




भारत मे लगभग 150 इस्कान मंदिर है। कानपुर के यह इस्कान मंदिर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित है। यह मंदिर पवित्र गंगा नदी के तट पर बना एक शास्वत आध्यात्मिक मंदिर है , जो अंतरास्ट्रीय पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बना रहता है। मंदिर बिठूर रोड के मैनावती मार्ग पर स्थित है। मंदिर का फैलाव 12 एकड़ में है। इस मंदिर में उपस्थित देवताओं को पारंपरिक स्नान की रीति है जो वार्षिक महा अभिषेक के दौरान करायी जाती है।

Travel करने का समय:-
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इस मंदिर को जन्माष्टमी के समय travel करना काफी भगति सा माहौल रहता है। यहाँ जन्माष्टमी , राधाष्टमी जैसे त्योहार काफी धूम -धाम से मनाते है।


                    श्री राधाकृष्ण मंदिर



प्राचीन और आधुनिक शैली से संगमरमर द्वारा निर्मित कानपुर के यह मंदिर मूलरूप से श्री राधाकृष्ण के सम्मान में है । यह मंदिर जे. के. मंदिर के नाम से भी प्रसिद्ध है। जो जे. के. ट्रस्ट द्वारा निर्मित है जो हिन्दू धर्म के प्रिय देवता हनुमान , लक्ष्मी नारायण, अर्धनारीश्वर और नर्मदेश्वर को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 20 मई 1960 को पूरा हुआ। मंदिर का 50 वर्ष 20 मई 2010 को पूरा हुआ जिसके उपलक्ष्य में धूम धाम से जश्न मनाया गया।

Travel करने का समय :-
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राधा कृष्ण मंदिर की यात्रा का सबसे अच्छा समय अगस्त से मार्च तक का है। जिसमे सबसे सुंदर समय जन्माष्टमी का है।

मंदिर खुलने का समय :-
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सुबह 8 बजे से 12 बजे तक।
4:30 बजे से रात 10:00 बजे तक।
सुबह 8:40 से 9:40 के बीच मंदिर के भीतर की मूर्तियों को   
एक घंटे तक सार्वजनिक किया जाता है।

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